***** संजारी II *****
**************************(पिछले भाग में आपने पढ़ा की बरसों बाद मणि राधामोहन सिंह अपने गृह क्षेत्र संजारी के मजरा टोला पहुंचकर खान बाबा को अपने साथ ले जाते हैं, ) अब आगे . . . . . . . . . . . . . . .
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खान बाबा के साथ बैठकर मन हल्का सा लग रहा था, " मणि बाबा, कुंवर मणि राधामोहन सिंह से आप कुंवर सूर्योदय प्रताप सिंह कैसे हो गए," खान बाबा का सवाल आने तक गाड़ी मंथर गति को पीछे छोड़कर तीव्र वेग से बढ़ने लगी थी,
" बाबा, आपको वह काली रात तो याद है न, " एक बार फिर अतीत ने हमें अपने आगोश में ले ले लिया, " जब आप हमें बुआ सा के पास नैनागढ़ छोड़ आये थे" हमारी आवाज़ हमें किसी गहरी खाई से आती लग रही थी,
"खुदा का शुक्र है बाबा, " खान बाबा की आवाज़ १० मील दूर से आती प्रतीत हो रही थी, " उस हौलनाक रात ने सब तबाह कर दिया था, कितनी मुश्किलों से आपको सूर्या बहिन के घर पहुंचा पाया था, " कुछ पल के एकांत के बाद " उन काफिरों ने उस काली रात में संजारी का सूरज ही डुबा दिया," खान बाबा खुद अतीत के साये में चले गए " खुदा ता-क़यामत, उन जालिमों को सुकून नसीब नहीं होने देगा" खान बाबा के चहरे पर कहा बरपा भाव आ गए,
" बाबा वहां भी इसी खतरे को भांपकर, बुआ सा ने हमें नैनीताल भेज दिया, " दो पल रुकने के साथ ही किसी चलचित्र की मानिन्द गुज़रा वक़्त लफ़्ज़ों में ढल कर सामने आने लगा " सुरक्षा की दृष्टि से हमारा नाम, बदलकर सूर्योदय प्रताप सिंह रख दिया गया, उस के कुछ अरसे बाद खबर आई की नैनागढ़ की हवेली, और तलहटी में बसे गांव भूकम्प में जमीदोज हो गए, " आँखों की कोर गीली होने को आई, " उसके बाद संजारी, नैनागढ़, सभी से अलग हो गए."
"सर आगे कहाँ से निकलना है, " सुदर्शन की आवाज़ ने हम दोनों को यथार्थ में लाकर खड़ा कर दिया " आगे से मगरिब की जानिब ले लें" दिशा खान बाबा ने बतायी, फिर कुछ पल सन्नाटा रहा इसके साथ ही आ गया संजारी का मैदान जिसमे हमें अपने पूर्वजों की परम्पारोँ के साथ एक नवीन रिश्तों का निर्माण करना था,
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" बोलिए अम्बे मात की " हमारे शब्दों के जवाब में " जै ऐ ऐ ऐ ऐ ऐ " के जय घोष ने संजारी की पहाडयों पर बैठे परिंदों को अपनी जगह छोड़ने पर मज़बूर कर दिया, " संजारी वाले बाबा की " अबकी बार " जै ऐ ऐ ऐ ऐ ऐ ऐ ऐ ऐ ऐ " जयघोष ने मैदान और आसपास के वातावरण को पूरी तरह से गूंजा दिया,
" हम म म म म म " अल्प विराम ने हमारी आवाज़ को हमारे कानो तक पहुंचा दिया " मणि राधामोहन सिंह, संजारी परिवार के सबसे छोटे सदस्य होने की जिम्मेदारी और विश्वास से आप सबको प्रणाम करते हैं" कहते हुए हमने दोनों हाथों को प्रणाम मुद्रा में जोड़कर अभिवादन किया, अनायास ही जनमानस में कौतूहल का वातावरण निर्मित हो गया,
" आप सभी की इच्छा और स्वर्गीय पिताजी महराज श्री सज्जन सिंह जी के आत्मिक निर्देश पर हम आप सभी के बीच उपस्थित हैं, " कुछ पलों के अल्प विराम में हमारी नज़रें एक कोने से दूसरे कोने तक घूम आई, " अवसर उस दिवास्वप्न के साकार होने का है जिसका स्वप्न अंतुले बाबा की अनुभवी आँखों ने तब देखा था जब बर्तानवी हुकूमत संजारी पर अपनी नज़रें गड़ाए खड़ी थी, जी हाँ सही समझे आप " गूंज़ती आवाज़ ने माहौल को बहुत अधिक उत्साहजनक बना दिया
" आज आप सभी के आशीर्वाद से संजारी की पहाड़ी की तलहटी और खाई को मिलाकर संजारी बांध बनाने का निर्णय लिया है, " जैसे ही यह शब्द वातावरण में गूंजे नारों के जयघोष से पूरा माहौल गरमा गया " जैसा की आप सभी जानते हैं की यह बांध न सिर्फ पानी के बहाव को रोकने में बल्कि संजारी क्षेत्र की हज़ारों एकड़ खेती की जमीन की प्यास बुझाने का उद्देश्य पूरा करने के लिए सबसे महत्त्वाकांक्षी योजना है, इसके इतर यह बांध संजारी की पहाड़ियों में पाई जाने वाली वनस्पति, ओषधिओं, और वन्यजीवन के सरंक्षण का सबसे असरकारक जरिया साबित होगा" लोगों की आँखों की चमक बता रही थी की हम जो कह रहे हैं वह उनकी आशाओं को पूरा करने के सबसे बेहतर माध्यम है,
" संजारी बांध से भविष्य की विद्युत सम्बन्धी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, जलविद्युत केंद्र भी साथ ही निर्मित किया जाना है, आप सब यकीन मानिये २ साल के बाद संजारी क्षेत्र २४ घंटे ३६५ दिन निर्बाध विद्युत प्रदाय का लाभ उठाएगा, " शब्दों ने जनमानस पर जादू का असर किया, तालियों की गड़गड़ाहट ने हमें और सभी को बता दिया था की संजारी का भविष्य उज्जवल है
" इसके साथ ही पहाड़ी की तलहटी से लगी हुई वह लगभग १२०० एकड़ जमीन जो पहले पानी और बाद में रेत के कारण अनुपयोगी रह जाती है, उसको खेती योग्य बनाकर क्षेत्र के खेतिहर मज़दूरों को वितरित किया जायेगा, ताकि वह मज़दूर के बजाये किसान बन सके," जैसे ही कुछ पल के विराम में पानी का गिलास हमने अपने होठों से लगाया जनमानस से संजारी राजपरिवार के जयघोष लगने लगे,
" प्रशासन का अदना सा सेवक होने के नाते हम आप को बताना चाहते हैं, कि निर्माण कार्य समयबद्ध, और आप सभी के सहयोग से बनायीं गयी जनभागीदारी और नियंत्रक समिति के मार्गदर्शन में ही होगा, “दो पल के विराम के साथ पुनः हमने कहना चालू किया ”इस निर्माण कार्य का भूमि पूजन हम सभी के बुजुर्ग खान बाबा, पुजारी मामा, गौरी काकी, और गौहर बुआ, करेंगे। " मन मयूर हल्का होकर नृत्य करने पर आमादा होने लगा था,
" आप सभी से छोटा होने के नाते निवेदन है की हम पर अपना स्नेह, आशीर्वाद, और मार्गदर्शन, सदैव बनाये रखें, " अपने संक्षिप्त उद्धबोधन को समाप्त करते हुए हमने पुनः अपने हाथ प्रणाम मुद्रा में जोड़कर अभिवादन किया,
" बोलिए अम्बे मात की " हमारे शब्दों के जवाब में " जै ऐ ऐ ऐ ऐ ऐ " के जय घोष ने एक बार फिर संजारी की पहाडयों पर बैठे परिंदों को अपनी जगह छोड़ने पर मज़बूर कर दिया,
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