*** पापा के लिए ***
पापाजी,
सादर चरण स्पर्श ,
जानता हूँ आपको आश्चर्य हो रहा होगा कि आपका सबसे नालायक मगर लाडला बेटा आपको पत्र लिख रहा है, लेकिन ये सच है पापाजी,
सब जानते हैं कि मैंने कभी आपकी सीख नहीं मानी, हमेशा अपने मन कि करता रहा, और आप हमेशा मेरी बनाई हुई समस्याओं को सुलझाने मैं व्यस्त रहे,
पापाजी, मुझे बहुत अच्छे से याद है आपसे सबसे जयादा डांट मेने खाई, शायद सबसे जयादा बार पिटाई भी मेरी ही हुई है, मगर ये भी अच्छे से याद है कि आपका सबसे दुलारा बच्चा मैं ही रहा हूँ,
पापाजी, अपने बचपन मैं हमेशा आपको सख्त, रोबीला, गुस्सेवाला, लेकिन एक ऐसा इन्सान समझता रहा हूँ, जिसके जैसा बनाने कि सर्वाधिक ख्वाहिश मेरी खुद कि ही रही है, पापाजी मैं आपको बताना चाहता हूँ कि अपने दोस्तों को सबसे जयादा प्रसिद्ध मैं इसीलिए रहा हूँ क्यूंकि मैं आपका बेटा हूँ, बचपन मैं मेरे सारे साथी इसी बात को लेकर मुझसे डरते रहे, यहाँ तक कि पिटते रहे क्यूंकि उन्हें डर रहा कि आप मेरी तरफ से कभी साथ खड़े हो सकते हो.
पापाजी, मम्मी अक्सर कहती रही कि मैं जब एक वर्ष का था, तब अक्सर रात को २ बजे भूख से रोने लगता और आप उसी समय मेरे लिए दूध गरम करते, फिर ठंडा करते, फिर बोतल मैं डालते, और गोद मैं उठाकर टेर्रेस पर टहलते हुए पिलाते, पापा मैं आज भी ये सोचकर ओर्मंचित हो उठता हूँ, कि आपने कई कई बार सिर्फ मुझसे मिलने के लिए एक दिन के अवकाश मैं दिल्ली से घर तक का १८ घंटे का सफ़र तय किया, और महज़ ४ घंटों के बाद फिर से उसी लम्बे सफ़र पर रवाना हो गए,
पापाजी, सच मैं आप से मुझे बहुत डर लगता है, लेकिन उससे भी जयादा डर बरसात मैं कड़कने वाली बिजली से लगता है, जिसको सुनकर मैं आपसे लिपट जाया करता था, पापा मुझे ये भी पता है कि आपने अनगिनित बरसात कि रातें सिर्फ इसीलिए जागकर गुज़रीं हैं क्यूंकि मैं बिजली के कड़कने पर चौककर डर जाता था,
पापाजी, मैं एक बार फिर आपकी गोद मैं सर रखकर सोना चाहता हूँ, आपकी पीठ पर बैठना चाहता हूँ, आपके साथ सुबह सुबह उठकर खेत पर जाना चाहता हूँ, आपके हाथों से दो निवाले ही सही मगर खाना चाहता हूँ, पापा प्लीज़, मेरे पास वापस आ जाओ, मैं फिर से बचपन मैं जाकर आपके साथ जीना चाहता हूँ, पापा प्रामिस आपको कभी परेशान नहीं करूँगा, पक्का पापा आप जैसा बोलोगे वैसा ही करूँगा.
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